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किसी पब्लिक प्लेस पर बच्चे को ले जाते समय लोग बच्चों के माथे पर किसी न किसी प्रकार का टीका राख या धूल अथवा काजल का लगा देते है,जिससे बच्चे की सुरक्षा शैतानी आंख वाले से बनी रहती है। अगर कोई बच्चे को कह देता है कि "कितना सुन्दर बच्चा है",तो फ़ौरन उस बच्चे की मां कहती है "कहाँ सुन्दर है कितना गन्दा बच्चा है",इसके साथ ही ग्रीस में नजर से ग्रसित कारक को पत्थर से उतारा भी किया जाता है,एक पत्थर को ग्रसित व्यक्ति या वस्तु से उतारा करने के बाद उसे खुले आसमान के नीचे फ़ेंक देते है,वहाँ भी यही पहिचार होती है कि अगर नजर दोष से कोई कारक ग्रसित है तो बच्चे को उल्टी दस्त होने लगते है,व्यवसाय में अक्समात कमी आजाती है,दूध देने वाले जानवर के स्तनों में खून आने लगता है अथवा वह दूध देना अक्समात बन्द कर देता है,विद्यार्थी का दिमाग अक्समात शिक्षा से दूर भागने लगता है। इटली मे नजर से ग्रसित व्यक्ति बच्चा दूध पिलाने वाली माँ फ़ल वाले वृक्ष दूध देने वाले जानवर जनता के अन्दर चलने वाली दुकाने अगर किसी व्यक्ति से ग्रसित मालुम पडती हैं,तो उस व्यक्ति की पहिचान के लिये लोग एक दूसरे को एक तरह के इशारे से सावधान करते है,इस इशारे को "मानिफ़िको" करते है,जिसमे दाहिने हाथ की बीच की और अनामिका उंगली को मोड कर अंगूठे से दबाकर तर्जनी और कनिष्ठा को खडा करने के बाद उसे सींग वाले जानवर की शक्ल दी जाती है,इस प्रकार के इशारे से जानकार या अन्य लोग समझजाते है कि उनके आसपास कोई नजर देने वाला व्यक्ति है।
जैविस लोग जब समझ जाते है कि उनके किसी कारक को नजर दोष लगा है तो वे उस कारक के पास तीन बार थूकते है,और तीन बार ही "पेह पेह पेह" कहते है,नमक को उतारा करने के बाद घर के बाहर फ़ेंकते हैं,और अपनी भाषा में कहते हैं - "केइन अयन हारा" (शैतानी आंख नहीं),और दूसरा तरीका वे प्रयोग करते है जब उनको लगता है उनका नजर दोष दूर नही हुआ है तो वे सीधे हाथ का अंगूठा उल्टे हाथ में और उल्टे हाथ का अंगूठा सीधे हाथ में उंगलियों से दबाकर ईश्वर से प्रार्थना करते है कि उनका कारक नजर दोष से दूर हो जाये।
ईरान अफ़गानिस्तान पाकिस्तान भारत ताजिकिस्तान में मुस्लिम लोग अपने बच्चे को नजर दोष से ग्रसित होने पर गूगल का धुंआ देते हैं,इसके साथ ही तारामीरा के बीजों को ग्रसित व्यक्ति अथवा कारक के ऊपर उसारा करने के बाद जला देते हैं,उनका विश्वास है कि गूगल या तारामीरा के धुंये से नजरदोष दूर हो जाता है। भारत के अन्दर नीम के पत्तों से झाडा भी दिया जाता है,फ़कीर लोग मोर पंख से व्यक्ति के अन्दर झाडा देते वक्त एन्टीस्टेटिक इनर्जी का प्रयोग करते है जिससे यह दोष दूर हो जाता है। इन देशों में बच्चे की नजर के लिये पहिचान की जाती है कि बच्चे को नजर दोष लगा है तो सबसे पहले उसके मुंह से लार बहनी शुरु हो जाती है,अथवा वह आंखें बन्द कर लेता है और मुंह से फ़ैन आना चालू हो जाता है फ़िर बच्चे को दस्त लगने शुरु हो जाते है,और डायरिया जैसी बीमारी होने के बाद बच्चा लगातार कमजोर होने लगता है,पढे लिखे लोग जो इन बातों पर विश्वास नहीं करते है पहले किसी डाक्टर के पास ले जाते हैं,फ़िर जब कोई दवा काम नही करती है तो उनको समझ में आता है कि बच्चा नजर दोष से ग्रसित है।
शैतानी-आंख से ग्रसित कारकों में पहिचान करने के बाद झाडा-फ़ूंकी जो विभिन्न स्थानों देशों में विभिन्न प्रकार से की जाती है,पानी तेल और मसले हुये मोम का तरल पदार्थ आदि प्रयोग किये जाते है,उसके अलावा प्राकृतिक कारक जिनके अन्दर प्रकृति के द्वारा तरल पदार्थ भरा होता है जैसे अंडा आदि को उतारा करने के बाद विभिन्न स्थानों में रखते हैं,इस तरह के काम एक नाटकीय काम करते है और नजर दोष से ग्रसित कारक ठीक हो जाता है। पूर्वी यूरोप में पानी की परात में जलता हुआ कोयला अथवा माचिस की तीली को नजर से ग्रसित कारक के सामने डालते है,अगर वह वास्तव में ग्रसित है तो पानी के अन्दर जलता हुआ कोयला अथवा माचिस की तीली डालते हुये वह भभक उठता है,तो समझ लिया जाता है कि कारक नजर दोष से पीडित है।
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....अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।
अमावस्या को प्रात: मेंहदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से प्रार्थना कर, घर के दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं देखें। उस दिन एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति निश्चय ही दूर होती है।
Health remedies
किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया में सुखा लें। जिस कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से ´´ ॐ माधवाय नम:। ॐ अनंताय नम:। ॐ अच्युताय नम:।´´ मन्त्र की एक माला का जाप करें। कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा। दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य करें। इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा।
अगर बीमार व्यक्ति ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस पर थोड़ा सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें। फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, इसका पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को ही श्रेष्ठ रहती है। शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।
पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।
किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं। अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।
किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर, चुगावें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।
शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें। शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का टुकड़ा रखें। इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। फेंकने से पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें। ऐसा 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो
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