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Tuesday 19 March 2013

Suggest me right gemstone to wear

Stones according to stars

      रत्न बढ़ाते है भाग्य ......

रत्नों को धारण करने के पीछे मात्र उनकी चमक प्रमुख कारण नहीं है बल्कि अपने लक्ष्य के अनुसार उनका लाभ प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि ये रत्न जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कार्य करते किस प्रकार हैं। हम अपने आस-पास व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न रत्न पहने हुए देखते हैं।
ये रत्न वास्तव में कार्य कैसे करते हैं और हमारी जन्मकुंडली में बैठे ग्रहों पर क्या प्रभाव डालते हैं और किस व्यक्ति को कौन से विशेष रत्न धारण करने चाहिये, ये सब बातें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। 

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रत्नों का प्रभाव: 

रत्नों में एक प्रकार की दिव्य शक्ति होती है। वास्तव में रत्नों का जो हम पर प्रभाव पड़ता है वह ग्रहों के रंग व उनके प्रकाश की किरणों के कंपन के द्वारा पड़ता है। हमारे प्राचीन ऋषियों ने अपने प्रयोगों, अनुभव व दिव्यदृष्टि से ग्रहों के रंग को जान लिया था और उसी के अनुरूप उन्होंने ग्रहों के रत्न निर्धारित किये। जब हम कोई रत्न धारण करते हैं तो वह रत्न अपने ग्रह द्वारा प्रस्फुटित प्रकाश किरणों को आकर्षित करके हमारे शरीर तक पहुंचा देता है और अनावश्यक व हानिकारक किरणों के कंपन को अपने भीतर सोख लेता है। अतः रत्न ग्रह के द्वारा ब्रह्मांड में फैली उसकी विशेष किरणों की ऊर्जा को मनुष्य को प्राप्त कराने में एक विशेष फिल्टर का कार्य करते हैं। रत्नों का ज्योतिष में उपयोग ज्योतिष शास्त्र में बतायें गये विभिन्न उपायों में रत्नों का भी बड़ा विशेष महत्व है और रत्नों के द्वारा बहुत सकारात्मक परिवर्तन जीवन में आते हैं। परंतु वर्तमान में रत्न धारण करने के विषय में बहुत सी भा्रंतियां देखने को मिलती हैं जिससे बड़ी समस्याएं और दिक्कते उठानी पड़ती है। ज्यादातर व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार रत्न धारण कर लेते हैं परंतु उन्हें समाधान मिलने के बजाय और समस्याएं आ जाती हैं। सर्वप्रथम हमें यह समझना चाहिये कि रत्न धारण करने से होता क्या है। इसके विषय में हमेशा यह स्मरण रखें कि रत्न पहनने से किसी ग्रह से मिल रही पीड़ा समाप्त नहीं होती या किसी ग्रह की नकारात्मकता समाप्त नहीं होती है बल्कि किसी भी ग्रह का रत्न धारण करने से उस ग्रह की शक्ति बढ़ जाती है अर्थात् आपकी कुंडली का वह ग्रह बलवान बन जाता है। उससे मिलने वाले तत्वों में वृद्धि हो जाती है। हमारी कुंडली में सभी ग्रह शुभ फल देने वाले नहीं होते। कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जो हमारे लिये अशुभकारक होते हैं और उनका कार्य केवल हमें समस्याएं देना होता है। अब यदि ऐसे ग्रह का रत्न धारण कर लिया जाये तो वह अशुभकारक ग्रह बलवान हो जायेगा और अधिक समस्यायें उत्पन्न होंगी। अतः प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक रत्न धारण नहीं करना चाहियें। रत्न धारण के लिये यह देखें जो ग्रह हमारी कुंडली का लग्नेश है उसका व लग्नेश के मित्र ग्रहों (जोकि केवल त्रिक 6, 8, 12 भावों के स्वामी न हों) का रत्न ही हमें धारण करना चाहिये। 

लग्नेश, पंचमेश व नवमेश ग्रह का रत्न आजीवन धारण किया जाता है तो वह शुभ फल ही देता है। अतः इस बात पर भी ध्यान नहीं देना चाहिए कि जिस ग्रह की महादशा है उसी का रत्न धारण कर लें। यदि वह ग्रह शुभकारक है तो ही उसका रत्न पहनें।
रत्नों का चयन अपने लग्न की राशि के अनुसार करना चाहिए, अन्यथा प्रतिकूल रत्न किसी भी सीमा तक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। धरती के आंचल में प्राप्त होने वाले आभावान पत्थरों को रत्न कहा जाता है। रत्न बड़े प्रभावशाली होते हैं।
यदि लग्नेश व योगकारक ग्रहों के रत्नों को अनुकूल समय में उचित रीति से जाग्रत कर धारण किया जाए तो वांछित लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

मेष:


 इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न मूंगा है जिसको शुक्ल पक्ष में किसी मंगलवार को मंगल की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर सोने में अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए। 
मंत्र- ऊँ भौं भौमाय नमः 
लाभ- मूंगा धारण करने से रक्त साफ होता है और रक्त, साहस और बल में वृद्धि होती है, महिलाओं के शीघ्र विवाह मंे सहयोग करता है, प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाता है। बच्चों में नजर दोष दूर करता है। वृश्चिक लग्न वाले भी इसे धारण कर सकते हैं। 

वृष: 


इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न हीरा तथा राजयोग कारक रत्न नीलम है। हीरा को शुक्ल पक्ष में किसी शुक्रवार को शुक्र की होरा में जाग्रत कर धारण करना चाहिए।
 मंत्र- ऊँ शुं शुक्राय नमः 
लाभ- हीरा धारण करने से स्वास्थ्य व साहस प्रदान करता है। समझदार बनाता है। शीघ्र विवाह कराता है। अग्नि भय व चोरी से बचाता है। महिलाओं में गर्भाशय के रोग दूर करता है। पुरुषों में वीर्य दोष मिटाता है। कहा गया है कि पुत्र की कामना रखने वाली महिला को हीरा धारण नहीं करना चाहिए अतः वे महिलाएं जो पुत्र संतान चाहती हैं या जिनके पुत्र संतान है उन्हें परीक्षणोपरांत ही हीरा धारण करना चाहिए। इसे तुला लग्न वाले जातक भी धारण कर सकते हैं। 
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मिथुन:


 इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न पन्ना है जिसे बुधवार को बुध की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर पहनना चाहिए। 
मंत्र- ऊँ बुं बुधाय नमः 
लाभ- पन्ना निर्धनता दूर कर शांति प्रदान करता है। परीक्षाओं में सफलता दिलाता है। खांसी व अन्य गले संबंधी बीमारियों को दूर करता है। चंचल चिŸावृŸिायों को शांत करता है। इसके धारण करने से एकाग्रता विकसित होती है। काम, क्रोध आदि मानसिक विकारों को दूर करके अत्यंत शांति दिलाता है।
कन्या लग्न वाले जातक भी इसे धारण कर सकते हैं।

 कर्क:

 इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न मोती है जिसे सोमवार के दिन प्रातः चंद्र की होरा में पहनना चाहिए। पहनने के पहले रत्न को इस मंत्र से अवश्य जाग्रत कर लेना चाहिए। 
मंत्र- ऊँ सों सोमाय नमः 
लाभ- मोती धारण करने से स्मरण शक्ति प्रखर होती है। बल, विद्या व बुद्धि में वृद्धि होती है। क्रोध व मानसिक तनाव शांत होता है। अनिद्रा, दांत व मूत्र रोग में लाभ होता है। पुरुषों का विवाह शीध्र कराता है तथा महिलाओं को सुमंगली बनाता है। इस लग्न वाले यदि मूंगा भी धारण करें तो अत्यंत लाभ देता है क्योंकि मूंगा इस लग्न वाले व्यक्ति का राजयोग कारक रत्न होता है। 



सिंह:


 इस लग्न वाले जातकांे का अनुकूल रत्न माणिक्य है। इसे रविवार को प्रातः रवि की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए।
 मंत्र- ऊँ घृणि सूर्याय नमः
 लाभ- माणिक्य धारण करने से साहस में वृद्धि होती है। भय, दुःख व अन्य व्याधियों का नाश होता है। नौकरी में उच्चपद व प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। अस्थि विकार व सिर दर्द की समस्या से निजात मिलती है। इस लग्न वाले व्यक्ति यदि मूंगा भी धारण करें तो अत्यंत लाभ देता है। क्योंकि इस लग्न वाले व्यक्ति का मूंगा राजयोग कारक रत्न होता है। 
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धनु: 


इस लग्न वाले जातकों का अनुकूल रत्न पुखराज है जिसे शुक्ल पक्ष के किसी गुरुवार को प्रातः गुरु की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए।
 मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पतये नमः 
लाभ: पुखराज धारण करने से बल, बुद्धि, ज्ञान, यज्ञ व मान-सम्मान में वृद्धि होती है। पुत्र संतान देता है। पापकर्म करने से बचाता है। अजीर्ण प्रदर, कैंसर व चर्मरोग से मुक्ति दिलाता है।

मिथुन, कन्या, वृश्चिक, धनु, कुंभ व मीन लग्न वाले जातक पुखराज धारण कर सकते हैं
वृष, कर्क, सिंह, तुला और मकर लग्न वाले जातक पुखराज धारण न ही करें तो अच्छा है। 


मेष लग्न वाले जातकों को भी वर्जित है परंतु यदि गुरु जन्म कुंडली के प्रथम, पंचम व नवम भावस्थ हो तो धारण करें। अच्छा है। जिस कन्या का विवाह न हो रहा हो उसे अवश्य धारण करना चाहिए परंतु उसकी लग्न या राशि, धनु या मीन होनी चाहिए।
मकर: इस लग्न वाले जातकों के लिए अनुकूल रत्न नीलम है जिसे शनिवार के दिन प्रातः शनि की होरा में निम्न मंत्र से जाग्रत कर धारण करना चाहिए। मंत्र- ऊँ शं शनैश्चराये नमः 

लाभ- नीलम धारण करने से धन, सुख व प्रसिद्धि में वृद्धि करता है। मन में सद्विचार लाता है। संतान सुख प्रदान करता है। वायु रोग, गठिया व हर्निया जैसे रोग में लाभ देता है। नीलम को धारण करने के पूर्व परीक्षण अवश्य करना चाहिए। नीलम धारण करने से पूर्व कुशल ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए।

रत्न धारण करने में हाथ का चयन: 

शास्त्र की मान्यता है कि पुरुष का दायां हाथ व महिला का बांया हाथ गर्म होता है। इसी प्रकार पुरुष का बांया हाथ व महिला का दांया हाथ ठंडा होता है। रत्न भी अपनी प्रकृति के अनुसार ठंडे व गर्म होते हैं। यदि ठंडे रत्न, ठंडे हाथ में व गर्म रत्न गर्म हाथ में धारण किये जाएं तो आशातीत लाभ होता है। 

प्रकृति के अनुसार गर्म रत्न - पुखराज, हीरा, माणिक्य, मूंगा। 

प्रकृति के अनुसार ठंडे रत्न - मोती, पन्ना, नीलम, गोमेद, लहसुनिया। 

रत्न मर्यादा- 



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रत्न को धारण करने के बाद उसकी मर्यादा बनायी रखनी चाहिए। अशुद्ध स्थान, दाह-संस्कार आदि में रत्न पहन कर नहीं जाना चाहिए।
यदि उक्त स्थान में जाना हो तो उसे उतार कर देव-स्थान में रखना चाहिए तथा पुनः निर्धारित समय में धारण करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रत्न शुक्ल पक्ष के दिन निर्धारित वार की निर्धारित होरा में धारण किये जाएं। खंडित रत्न कदापि धारण नहीं करना चाहिए।

रत्न धारण विधि:


 रत्न को धारण करने से पहले उसे तदनुरूप धातु की अंगूठी में बनवाये। तत्पश्चात् उसे शुद्ध व सिद्ध करना होगा। तभी वह अपना प्रभाव दिखायेगा। रत्न से संबंधित ग्रह के वार को उसे पहले गाय के कच्चे दूध में फिर गंगाजल मंे अभिषेक करके धूप-दीप जलाकर उस ग्रह के मंत्र की कम से कम तीन व अधिकतम ग्यारह माला जाप करके पूर्वाभिमुख होकर रत्न को ग्रह से संबंधित सही उंगली में धारण करें। 

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Astrologer Peeyush vashisth 

jaipur, 9829412361
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Astrologer in jaipur



Astrology for mother daughter compatibility

Mother child astrological compatibility

माँ 

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एक दफा एक बूढ़ी औरत अपने बेटे के साथ 
पार्क में बैठी हुई थी 

पास ही एक कौवा बैठा हुआ था 

माँ ने अपने बेटे से कहा "ये क्या है "

बेटा बोला "ये कौवा है "

माँ ने कुछ देर बाद फिर पूछा 
"ये क्या है "

बेटा बोला
"ये कौवा है "

माँ ने फिर पूछा
"ये क्या है "

बेटा गुस्से से बोला
"कितनी बार बताऊ ये कौवा है "

माँ हंसी और बोली

"बेटा जब तू तीन साल का था ,तो यही जगह थी
और ऐसा ही कौवा यहाँ बैठा हुआ था
और तुने ये 40 बार पूछा था , और मैंने 40 मर्तबा
तेरा माता चूम के ये बताया था की ये कौवा है "

.
" अपनी माँ से हमेशा प्यार करो
अगर ये हस्ती खो गई , तो दुबारा नहीं मिलेगी "

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आचार्य पीयूष वशिष्ठ 

जयपुर ,    9829412361

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Secret Power of 108 in Hinduism

Secret Power of 108 in Hinduism



108 का रहस्य !




वेदान्त में एक मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 का उल्लेख मिलता है जिसका हजारों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों (वैज्ञानिकों) ने अविष्कार किया था l

मेरी सुविधा के लिए मैं मान लेता हूँ कि, 108 = ॐ (जो पूर्णता का द्योतक है)

प्रकृति में 108 की विविध अभिव्यंजना :

1. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी/सूर्य का व्यास = 108 = 1 ॐ

150,000,000 km/1,391,000 km = 108 (पृथ्वी और सूर्य के बीच 108 सूर्य सजाये जा सकते हैं)


2. सूर्य का व्यास/ पृथ्वी का व्यास = 108 = 1 ॐ

1,391,000 km/12,742 km = 108 = 1 ॐ
सूर्य के व्यास पर 108 पृथ्वियां सजाई सा सकती हैं .


3. पृथ्वी और चन्द्र के बीच की दूरी/चन्द्र का व्यास = 108 = 1 ॐ
384403 km/3474.20 km = 108 = 1 ॐ
पृथ्वी और चन्द्र के बीच १०८ चन्द्रमा आ सकते हैं .


4. मनुष्य की उम्र 108 वर्षों (1ॐ वर्ष) में पूर्णता प्राप्त करती है .
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य को अपने जीवन काल में विभिन्न ग्रहों की 108 वर्षों की अष्टोत्तरी महादशा से गुजरना पड़ता है .


5. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति 200 ॐ श्वास लेकर एक दिन पूरा करता है .

1 मिनट में 15 श्वास >> 12 घंटों में 10800 श्वास >> दिनभर में 100 ॐ श्वास, वैसे ही रातभर में 100 ॐ श्वास


6. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति एक मुहुर्त में 4 ॐ ह्रदय की धड़कन पूरी करता है .

1 मिनट में 72 धड़कन >> 6 मिनट में 432 धडकनें >> 1 मुहूर्त में 4 ॐ धडकनें ( 6 मिनट = 1 मुहूर्त)

7. सभी 9 ग्रह (वैदिक ज्योतिष में परिभाषित) भचक्र एक चक्र पूरा करते समय 12 राशियों से होकर गुजरते हैं और 12 x 9 = 108 = 1 ॐ

8. सभी 9 ग्रह भचक्र का एक चक्कर पूरा करते समय 27 नक्षत्रों को पार करते हैं और प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 27 x 4 = 108 = 1 ॐ
9. एक सौर दिन 200 ॐ विपल समय में पूरा होता है. (1 विपल = 2.5 सेकेण्ड)

1 सौर दिन (24 घंटे) = 1 अहोरात्र = 60 घटी = 3600 पल = 21600 विपल = 200 x 108 = 200 ॐ विपल

Secret Power of 108 in Hinduism

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*** 108 का आध्यात्मिक अर्थ ***


1 सूचित करता है ब्रह्म की अद्वितीयता/एकत्व/पूर्णता को

0 सूचित करता है वह शून्य की अवस्था को जो विश्व की अनुपस्थिति में उत्पन्न हुई होती

8 सूचित करता है उस विश्व की अनंतता को जिसका अविर्भाव उस शून्य में ब्रह्म की अनंत अभिव्यक्तियों से हुआ है .
अतः ब्रह्म, शून्यता और अनंत विश्व के संयोग को ही 108 द्वारा सूचित किया गया है .

जिस प्रकार ब्रह्म की शाब्दिक अभिव्यंजना प्रणव ( अ + उ + म् ) है और नादीय अभिव्यंजना ॐ की ध्वनि है उसी प्रकार ब्रह्म की गाणितिक अभिव्यंजना 108 है..!!
 
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Astrologer Peeyush Vashisth (gold medalist)

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Sunday 3 March 2013

Easy and Effective Remedies for marriage astrology

Spiritual Remedies for delayed Marriages

शीघ्र विवाह के उपाय 

(Remedies and Upay to avoide late marriage)

आचार्य पीयूष वशिष्ठ 

98294 1 2 3 6 1  

Dear friends here we are giving Easy and Effective Remedies for marriage astrology
समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है. इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय करने हितकारी रहते है. उपाय करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है. तथा विवाह के मार्ग की बाधाएं दूर होती है.उपाय करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें (Precautions while doing Jyotish remedies)
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1. किसी भी उपाय को करते समय, व्यक्ति के मन में यही विचार होना चाहिए, कि वह जो भी उपाय कर रहा है, वह ईश्वरीय कृ्पा से अवश्य ही शुभ फल देगा. 

2. सभी उपाय पूर्णत: सात्विक है तथा इनसे किसी के अहित करने का विचार नहीं है. 
3. उपाय करते समय उपाय पर होने वाले व्ययों को लेकर चिन्तित नहीं होना चाहिए. 
4. उपाय से संबन्धित गोपनीयता रखना हितकारी होता है.5. यह मान कर चलना चाहिए, कि श्रद्धा व विश्वास से सभी कामनाएं पूर्ण होती है.आईये शीघ्र विवाह के उपायों को समझने का प्रयास करें (Remedies for a late marriage)1. हल्दी के प्रयोग से उपायविवाह योग लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है.2. पीला वस्त्र धारण करनाऎसे व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए.3. वृ्द्धो का सम्मान करनाउपाय करने वाले व्यक्ति को कभी भी अपने से बडों व वृ्द्धों का अपमान नहीं करना चाहिए.4. गाय को रोटी देना
5. शीघ्र विवाह प्रयोग
इसके अलावा शीघ्र विवाह के लिये एक प्रयोग भी किया जा सकता है. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को किया जाता है. इस प्रयोग में गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये. यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए.
6. केले के वृ्क्ष की पूजा
गुरुवार को केले के वृ्क्ष के सामने गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए. अथा जल भी अर्पित करना चाहिए.



7. सूखे नारियल से उपाय
एक अन्य उपाय के रुप में सोमवार की रात्रि के 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता, इस उपाय के लिये जल भी ग्रहण नहीं किया जाता. इस उपाय को करने के लिये अगले दिन मंगलवार को प्रात: सूर्योदय काल में एक सूखा नारियल लें, सूखे नारियल में चाकू की सहायता से एक इंच लम्बा छेद किया जाता है. अब इस छेद में 300 ग्राम बूरा (चीनी पाऊडर) तथा 11 रुपये का पंचमेवा मिलाकर नारियल को भर दिया जाता है.
यह कार्य करने के बाद इस नारियल को पीपल के पेड के नीचे गड्डा करके दबा देना. इसके बाद गड्डे को मिट्टी से भर देना है. तथा कोई पत्थर भी उसके ऊपर रख देना चाहिए.
यह क्रिया लगातार 7 मंगलवार करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है. यह ध्यान रखना है कि सोमवार की रात 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना है.
8. मांगलिक योग का उपाय (Remedies for Manglik Yoga)
अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है.
9. छुआरे सिरहाने रख कर सोना
यह उपाय उन व्यक्तियों को करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है. परन्तु विवाह संपन्न होने में बाधा आ रही है. इस उपाय को करने के लिये शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें.
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जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोडा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है.
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अगर आप  चाहते है की आपका विवाह किस दिशा में होगा ,कब होगा, जीवनसाथी का नाम  किस  अक्षर से शुरू होगा, वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा तो संपर्क करे :
आचार्य पीयूष वशिष्ठ 
+9 1   9 8 2 9 4 1 2 3 6 1 

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