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Tuesday, 19 March 2013

Secret Power of 108 in Hinduism

Secret Power of 108 in Hinduism



108 का रहस्य !




वेदान्त में एक मात्रकविहीन सार्वभौमिक ध्रुवांक 108 का उल्लेख मिलता है जिसका हजारों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों (वैज्ञानिकों) ने अविष्कार किया था l

मेरी सुविधा के लिए मैं मान लेता हूँ कि, 108 = ॐ (जो पूर्णता का द्योतक है)

प्रकृति में 108 की विविध अभिव्यंजना :

1. सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी/सूर्य का व्यास = 108 = 1 ॐ

150,000,000 km/1,391,000 km = 108 (पृथ्वी और सूर्य के बीच 108 सूर्य सजाये जा सकते हैं)


2. सूर्य का व्यास/ पृथ्वी का व्यास = 108 = 1 ॐ

1,391,000 km/12,742 km = 108 = 1 ॐ
सूर्य के व्यास पर 108 पृथ्वियां सजाई सा सकती हैं .


3. पृथ्वी और चन्द्र के बीच की दूरी/चन्द्र का व्यास = 108 = 1 ॐ
384403 km/3474.20 km = 108 = 1 ॐ
पृथ्वी और चन्द्र के बीच १०८ चन्द्रमा आ सकते हैं .


4. मनुष्य की उम्र 108 वर्षों (1ॐ वर्ष) में पूर्णता प्राप्त करती है .
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य को अपने जीवन काल में विभिन्न ग्रहों की 108 वर्षों की अष्टोत्तरी महादशा से गुजरना पड़ता है .


5. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति 200 ॐ श्वास लेकर एक दिन पूरा करता है .

1 मिनट में 15 श्वास >> 12 घंटों में 10800 श्वास >> दिनभर में 100 ॐ श्वास, वैसे ही रातभर में 100 ॐ श्वास


6. एक शांत, स्वस्थ और प्रसन्न वयस्क व्यक्ति एक मुहुर्त में 4 ॐ ह्रदय की धड़कन पूरी करता है .

1 मिनट में 72 धड़कन >> 6 मिनट में 432 धडकनें >> 1 मुहूर्त में 4 ॐ धडकनें ( 6 मिनट = 1 मुहूर्त)

7. सभी 9 ग्रह (वैदिक ज्योतिष में परिभाषित) भचक्र एक चक्र पूरा करते समय 12 राशियों से होकर गुजरते हैं और 12 x 9 = 108 = 1 ॐ

8. सभी 9 ग्रह भचक्र का एक चक्कर पूरा करते समय 27 नक्षत्रों को पार करते हैं और प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं और 27 x 4 = 108 = 1 ॐ
9. एक सौर दिन 200 ॐ विपल समय में पूरा होता है. (1 विपल = 2.5 सेकेण्ड)

1 सौर दिन (24 घंटे) = 1 अहोरात्र = 60 घटी = 3600 पल = 21600 विपल = 200 x 108 = 200 ॐ विपल

Secret Power of 108 in Hinduism

Secret Power of 108 in Hinduism







*** 108 का आध्यात्मिक अर्थ ***


1 सूचित करता है ब्रह्म की अद्वितीयता/एकत्व/पूर्णता को

0 सूचित करता है वह शून्य की अवस्था को जो विश्व की अनुपस्थिति में उत्पन्न हुई होती

8 सूचित करता है उस विश्व की अनंतता को जिसका अविर्भाव उस शून्य में ब्रह्म की अनंत अभिव्यक्तियों से हुआ है .
अतः ब्रह्म, शून्यता और अनंत विश्व के संयोग को ही 108 द्वारा सूचित किया गया है .

जिस प्रकार ब्रह्म की शाब्दिक अभिव्यंजना प्रणव ( अ + उ + म् ) है और नादीय अभिव्यंजना ॐ की ध्वनि है उसी प्रकार ब्रह्म की गाणितिक अभिव्यंजना 108 है..!!
 
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Sunday, 3 March 2013

Easy and Effective Remedies for marriage astrology

Spiritual Remedies for delayed Marriages

शीघ्र विवाह के उपाय 

(Remedies and Upay to avoide late marriage)

आचार्य पीयूष वशिष्ठ 

98294 1 2 3 6 1  

Dear friends here we are giving Easy and Effective Remedies for marriage astrology
समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है. इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय करने हितकारी रहते है. उपाय करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है. तथा विवाह के मार्ग की बाधाएं दूर होती है.उपाय करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें (Precautions while doing Jyotish remedies)
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1. किसी भी उपाय को करते समय, व्यक्ति के मन में यही विचार होना चाहिए, कि वह जो भी उपाय कर रहा है, वह ईश्वरीय कृ्पा से अवश्य ही शुभ फल देगा. 

2. सभी उपाय पूर्णत: सात्विक है तथा इनसे किसी के अहित करने का विचार नहीं है. 
3. उपाय करते समय उपाय पर होने वाले व्ययों को लेकर चिन्तित नहीं होना चाहिए. 
4. उपाय से संबन्धित गोपनीयता रखना हितकारी होता है.5. यह मान कर चलना चाहिए, कि श्रद्धा व विश्वास से सभी कामनाएं पूर्ण होती है.आईये शीघ्र विवाह के उपायों को समझने का प्रयास करें (Remedies for a late marriage)1. हल्दी के प्रयोग से उपायविवाह योग लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है.2. पीला वस्त्र धारण करनाऎसे व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए.3. वृ्द्धो का सम्मान करनाउपाय करने वाले व्यक्ति को कभी भी अपने से बडों व वृ्द्धों का अपमान नहीं करना चाहिए.4. गाय को रोटी देना
5. शीघ्र विवाह प्रयोग
इसके अलावा शीघ्र विवाह के लिये एक प्रयोग भी किया जा सकता है. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को किया जाता है. इस प्रयोग में गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये. यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए.
6. केले के वृ्क्ष की पूजा
गुरुवार को केले के वृ्क्ष के सामने गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए. अथा जल भी अर्पित करना चाहिए.



7. सूखे नारियल से उपाय
एक अन्य उपाय के रुप में सोमवार की रात्रि के 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता, इस उपाय के लिये जल भी ग्रहण नहीं किया जाता. इस उपाय को करने के लिये अगले दिन मंगलवार को प्रात: सूर्योदय काल में एक सूखा नारियल लें, सूखे नारियल में चाकू की सहायता से एक इंच लम्बा छेद किया जाता है. अब इस छेद में 300 ग्राम बूरा (चीनी पाऊडर) तथा 11 रुपये का पंचमेवा मिलाकर नारियल को भर दिया जाता है.
यह कार्य करने के बाद इस नारियल को पीपल के पेड के नीचे गड्डा करके दबा देना. इसके बाद गड्डे को मिट्टी से भर देना है. तथा कोई पत्थर भी उसके ऊपर रख देना चाहिए.
यह क्रिया लगातार 7 मंगलवार करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है. यह ध्यान रखना है कि सोमवार की रात 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना है.
8. मांगलिक योग का उपाय (Remedies for Manglik Yoga)
अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है.
9. छुआरे सिरहाने रख कर सोना
यह उपाय उन व्यक्तियों को करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है. परन्तु विवाह संपन्न होने में बाधा आ रही है. इस उपाय को करने के लिये शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें.
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जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोडा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है.
 Now Please tell us how you find these Easy and Effective Remedies for marriage astrology

अगर आप  चाहते है की आपका विवाह किस दिशा में होगा ,कब होगा, जीवनसाथी का नाम  किस  अक्षर से शुरू होगा, वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा तो संपर्क करे :
आचार्य पीयूष वशिष्ठ 
+9 1   9 8 2 9 4 1 2 3 6 1 

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Astrologer Peeyush Vashisth 



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Friday, 1 March 2013

Vastu shastra articles and easy astrological remedies


Vastu shastra for home

"वास्तु शास्त्र की मदद से ज्ञान [पढने] की उर्जा को बढ़ाएं"

ACHARYA PEEYUSH VASHISTH
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Here we are giving easy astrological remedies for students
कुछ माँ बाप बच्चों के नही पढ़ने की शिकायत करते हैं 
 कुछ माँ बाप बच्चों के अंदर एकाग्रता नही होने की शिकायत करते हैं 
**आइये आज हम लोग पढ़ने के कमरे का विश्लेषण करते हैं :
  • ** पढ़ने के कमरे में दर्पण कभी भी न रखे ,खाशकर लडकियों का मन दर्पण से जल्दी भटकता है 
  • **पढ़ने के कमरे में व्यायाम से सम्बन्धित कोई भी सामान न रखें 
  • **पढ़ने के कमरे का रंग बच्चों के लाभदायक ग्रहों के रंगों के अनुसार होना चाहिए 

पढ़ने में मन नही लग रहा है तो ,तुरंत वास्तु -शास्त्र के कुछ उपाय करें...

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remedies for study

  1. इशान कोण में पूर्व दीवाल में विद्या की देवी मां सरस्वती की फोटो लगायें 
  1. इशान कोण [उत्तर -पूर्व] का तत्व जल है इसलिए जल तत्व से सम्बन्धित फोटो लगाने से ज्ञान की वृद्धि होती है 
  1. ज्ञान के तत्व को बढ़ाने के लिए बगीचे के इशान कोण में फव्वारे लगायें 
  1. ज्ञान के तत्व को बढ़ाने के लिए बैठक कक्ष के इशान कोण में मछली घर लगायें 
  1. .इशानकोण ज्ञान ,विवेक ,पढाई का कोना है ,बच्चों को इस कमरे में पढ़ने को कहें 
  1. इशान कोण में स्टडी टेबल को पूर्व मुखी रखें,.पढ़ते समय मुंह पूर्व की ओर होना चाहिए ,कम्पूटर को आग्नेय में रखें 
  1. ज्ञान प्राप्ति के लिए पूर्व में एवं धन प्राप्ति के लिए दक्षिण में सोने का विधान है अत: बच्चों को पूर्व में सर रखके सोना चाहिए 
  1. कमरा जितना खुला होगा उतना उर्जा का प्रवाह अच्छा होगा 
  1. इशान कोण का स्वामी गुरु होता है इसलिए ज्ञान की उर्जा को बढाने के लिए पिला बल्ब इशान कोण में जलाएं 
  1. कमरे में सीलन,जाले एवम गंदगी नहीं हों ...यह नकारात्मक उर्जा का वाहक है

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How To Get Relief from the Affects of Ghosts or The Unknown

                How To Get Relief from the Affects of 
         

                          Ghosts or The Unknown


  • Do Bajrang ban path for seven times a day
  • Wear mahamritunjaya yantra locket in black thread in neck on auspicious day.
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How To Get Relief from the Affects of Ghosts or The Unknown
  • Person can wear a combination of three stones only after consulting astrologer. The stones are yellow sapphire, pearl and cat's-eye
  • Wear 10 faced Rudraksha in a black thread after performing pran pratishta pooja, in neck 
  • Do path or Durga daily or Durga pooja and wear Durga bisa yantra locket in neck.
  • Wash whole house with gangajal 

  • WEAR THREEFACE RUDRAKSHA IN RED THREAD 
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                         Astrologer Peeyush Vashisth
                            Jaipur, +91  9829412361
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Tuesday, 26 February 2013

Easy Vastu Tips And Vastu Friendly Home


 HOME ACCORDING TO VASTU 


We all care about our homes and spend time, effort and money, trying to make them more comfortable. Similarly, at the places where we work, environmental stresses contribute to overall load, preventing us to reach our full potential. Resisting these external forces becomes more important for growth and development.

NorthWest- The room in this direction is suitable for guests and girls.
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Home according to vastu

South-West- The Chief of the house should have his room in this direction.

South-East- No bedroom should be located in this direction. The children do not take interest in studies. There is no sound sleep. People have much anger. Decisions are generally taken hurriedly.
Your Prayer Room- Room for prayer and meditation is recommended to be in the north-east corner of the house. Deity or image of god should not face the south direction. Ideal positions are such that you face east or west while praying.

Bathroom - Bathroom should constructed in the West and South directions and the flow of its drains should be towards North-East.

Toilet - Toilet should be constructed mainly towards South or West. Never build toilets in the direction of eastern corner ant the face should be towards south or West while discharging stool.


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Bed Room - According to vastu, the master bedrooms should be in the South-West corner of the house. If the house has more than one floor then, then it should be on the top most floor.The ceiling should be in level, this makes the energy of the room uniform, which in turn gives one a steady state of mind. Children s room should be in the north west or west side. To have a better concentration they should have a separate study close to their bedrooms.


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Children`s Room - The children`s room, should be constructed in the North-West corner.
Drawing Room - It should be in North-West, South or west direction. The furniture should be kept in South and West directions. Open space should be maximum in North and East directions.


Dining Room - The dining room should be constructed inSouth-East. The dining room and kitchen should be on the same floor and it should be adjacent to the kitchen from the left. The entrance to the dining room and the main door should not be facing each other. The dining table should be square of rectangular in shape and should not be attached or folding against the wall.


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General Room -Though, it is sparingly used; yet it should be constructed in the North-West.

Guest Room - It should be in North-West corner.

Kitchen -The kitchen must be situated in fire angle, i.e. in South-East. The face of the cook should be towards the East. The water tap in kitchen should be in the North-East direction. It is better if the stone on which food is cooked, is of red colour.

Study Room - The North-East,North-West,North,West,East corners are best for a study room. If the study room and place of worship room are adjacent then it is considered most beneficial. These directions attract the positive effects of Mercury increasing brain power, Jupiter increasing wisdom, Sun increasing ambition and Venus helps in bringing about creativity in new thoughts and ideas.


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Store Room- If essential then the store room should be constructed in the southern part of the building, other wise grain and other provisions can be stored in the kitchen or in other rooms and cupboards. Things should not be stored in diwans and box beds because it effects the magnetic environment of the self and the room causing sleeping disorders.

Height of Rooms - According to vastu shastra, the rooms in the northern part of the house should be larger than the rooms in the southern side by 6-9 inches, and lower by 1-3 inches. Height of rooms should ideally be, 12- 14 feet. Doors/Windows As far as doors are concerned, the main door should be larger than the inner doors and all doors should open towards the walls. All windows should be at least 3 feet 6 above ground level, and should be at the same level from the top. Window openings should be on the northern and eastern sides of the buildings



Waste Storage- 
Daily wastes from the kitchen should be kept covered in the south- west corner of the kitchen.

Water-Tank- It is best to keep it in the North-West, but could be kept in West also.

Doors - The doors should be in the North and East. When someone enters, the waves emerging from the doors affect his / her mind because the magnetic waves always flow around us.



 जय श्री राम , यदि आपके पास भी कोई उपाय या सुझाव है तो स्वागत है।


आचार्य पीयूष वशिष्ठ  (गोल्ड मैड़ेलिस्ट )
       शास्त्री , आचार्य , एम फिल 

फ़ोन पर जन्मपत्रिका दिखवाने के लिए या अपनी समस्या के समाधान के लिए संपर्क करे:

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Vastu And Its basic Rules For everyone

 WHAT IS VASTU AND 

 HOW IT IS USEFUL FOR EVERYONE


MEANING OF VASTU -


Deasr friends do you know WHAT IS VASTU AND HOW IT IS USEFUL FOR EVERYONE
we are telling you.
The meaning of vastu is dwelling, which is the home for god and humans. Vastu shastra is based on various energies that comes from atmosphere like solar energy from sun, cosmic energy, lunar energy, thermal energy, magnetic energy, light energy, wind energy. These energies can be balanced to enhance peace, prosperity and success. If a house is made according to these principles, the inmates enjoy all the happiness in life. If it is against vastu principals, it will be a place for all sort of problems, worries and no peace.


WHY VASTU IS IMPORTANT..

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Vaastu considered the interplay of various forces of nature involving the five elements of earth, water, wind, fire and ether and strives to maintain equilibrium as these elements influence, guide and change the living styles of not only human beings but every living being on earth.

Vastu Shastra unifies the science, art, astronomy and astrology, it can also be said as an ancient mystic science for designing and building. Vastu Shastra helps us to make our lives better and will secure from things going wrong.



Vastushastra is based on various natural energies-

* Solar Energy from Sun. Lunar Energy from Moon
* Earth Energy
* Electric Energy
* Magnetic Energy
* Thermal Energy
* Wind Energy
* Cosmic Energy

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Vastu can be used for every structure like room,house,temple,shop industry, town planning, tour, cities and even for earth. Vastu can be used for micro as well as for macro level.Every creature on earth starts its life with sunrise as it performs day & night. Hence there is much importance of sun in every one life. It gives ultra violet rays in morning and infra red rays in evening which one basic need to reduce / generate bio-chemical germs, N2/ Oxygen / CO2 on earth.

Sun indicates light (illumination) will power, generosity, solar system, luck or fate, mobility and in body. It rules over bone, eye, heart, spinalcord, blood circulation and soul etc. Hence east direction is auspicious; it belongs to lord Indra. North is considered auspicious since magnetic lines of forced moves from North to South, thus origin of all the life.

AUTHENTICITY/FACTS OF VASTU


The biggest Proof of vaastushastra can be found during the time of Ramayan and Mahabharat. Even in the cities of Mohanjodaro and Harappa the application of vaastushastra can be seen. Since the science goes far back to the times of Lord Rama and Lord Krishna there are many interesting mythological stories concerning the origin of Vaastupurush (the deity).

Geographical situation of an area affects the nature thus the vastu for every place changes. We see that some countries are much advanced, developed and prosperous while others are much backward. For e.g.

* Japan, existence of deep water in North and the East is considered most auspicious according to vastu shastra. The eastern side of Japan is widely spread and open. Thus Japan gets full benefit of the rays of the sun. This is why Japan is rich and prosperous. There is sea in Southeast and south of Japan, which is a place for Fire, this is why it suffered the attack of atom bombs explosion and earthquake.

* If we take Africa as a continent, we all know the northeastern corner of this continent is interjected. Northwest portion is projected, southeast and south have unlimited water, these all conditions are inauspicious according to vastu, that's why African countribest astrologer in india, vastu tips, what is vastu, WHY VASTU IS IMPORTANT, WHAT IS VASTU AND HOW IT IS USEFUL FOR EVERYONE, vastu for business and home, es are backward, uneducated, poor. But on the contrary, in the north of this continent, there exists Mediterranean Sea, which is favorable according to vastu. In the eastern part, river Nile flows and that's why civilization developed in Egypt and now Egypt got name and honour for its world famous pyramids.

* Why to go far, lets discuss our own INDIA, we know we have the Himalayas in the North and Northeast side of our country which is against vastu, thus there is lot of poverty in our country. There is water in Southwest and southeast side of our nation, thus we have to face the attacks of foreign empires. One thing that makes India famous is that we have our slope towards east, which is a very favourable and auspicious sign.The location and construction of the famous Balaji Temple, the most prosperous in India, are all according to Vaastu.The most famous prosperous industrial houses have also been studied; The Tata head quarters in Mumbai, Akbarallys the most successful retail store in India.


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Friday, 14 December 2012

Spiritual BENIFITS OF RUDRAKSHA WEARING ( Rudraksha dharan karne se laabh)



BENIFITS OF RUDRAKSHA WEARING


रुद्राक्ष धारण से करे मनोकामनापूर्ति 

रुद्राक्ष का अध्यात्म की दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है इसे धारण करने से रोगनाश ,भाग्योदय,पूजा-पाठ में मन लगना और मनोकामना पूर्ति जैसे फल प्राप्त होते है .रुद्राक्ष बहुत प्रकार के होते है और अधिकतर लोगो के मन में ये उलझन रहती है की उन्हें क
ोनसा और कितने मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए?


(KNOW BENIFITS OF RUDRAKSHA WEARING)


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 आज हम यहाँ बता रहे है की आपको कोनसा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।


मेष राशी -- 3 मुखी
वृषभ राशी-- 6 मुखी
मिथुन राशी-- 4 मुखी
कर्क राशी--2 मुखी
सिंह राशी--1 मुखी
कन्या राशी--4 मुखी
तुला राशी--6 मुखी
वृश्चिक राशी-- 3 मुखी
धनु राशी--5 मुखी
मकर राशी--7 मुखी
कुम्भ राशी--7 मुखी
मीन राशी--5 मुखी

इसके अतिरिक्त कुछ रुद्राक्ष किसी विशेष इच्छा की पूर्ती के लिए भी धारण किये जाते है। इनका विवरण इस प्रकार है।

अध्ययन में एकाग्रता के लिए -गणेश रुद्राक्ष
दांपत्य जीवन में मधुरता ,शीघ्र विवाह - गौरीशंकर रुद्राक्ष
आत्मविश्वास में वृद्धि के लिए-- 1 मुखी

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जयपुर
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