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Sunday, 2 March 2014

Lal kitab Remedies and Upay to avoide late marriage(Lal kitab ke totke)

             लाल किताब के विवाह के उपाय

 (Remedies and Upay to avoide late marriage)

समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है. इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय करने हितकारी रहते है. उपाय करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है. तथा विवाह के मार्ग की बाधाएं दूर होती है.
उपाय करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें (Precautions while doing Jyotish remedies)
  • 1. किसी भी उपाय को करते समय, व्यक्ति के मन में यही विचार होना चाहिए, कि वह जो भी उपाय कर रहा है, वह ईश्वरीय कृ्पा से अवश्य ही शुभ फल देगा.
  • 2. सभी उपाय पूर्णत: सात्विक है तथा इनसे किसी के अहित करने का विचार नहीं है.
  • 3. उपाय करते समय उपाय पर होने वाले व्ययों को लेकर चिन्तित नहीं होना चाहिए.
  • 4. उपाय से संबन्धित गोपनीयता रखना हितकारी होता है.
  • 5. यह मान कर चलना चाहिए, कि श्रद्धा व विश्वास से सभी कामनाएं पूर्ण होती है.
आईये शीघ्र विवाह के उपायों को समझने का प्रयास करें (Remedies for a late marriage)
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1. हल्दी के प्रयोग से उपाय
विवाह योग लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है.
2. पीला वस्त्र धारण करना
ऎसे व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए.
3. वृ्द्धो का सम्मान करना
उपाय करने वाले व्यक्ति को कभी भी अपने से बडों व वृ्द्धों का अपमान नहीं करना चाहिए.
4. गाय को रोटी देना
जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोडा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है.
5. शीघ्र विवाह प्रयोग
इसके अलावा शीघ्र विवाह के लिये एक प्रयोग भी किया जा सकता है. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को किया जाता है. इस प्रयोग में गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये. यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए.
6. केले के वृ्क्ष की पूजा
गुरुवार को केले के वृ्क्ष के सामने गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए. अथा जल भी अर्पित करना चाहिए.
7. सूखे नारियल से उपाय
एक अन्य उपाय के रुप में सोमवार की रात्रि के 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता, इस उपाय के लिये जल भी ग्रहण नहीं किया जाता. इस उपाय को करने के लिये अगले दिन मंगलवार को प्रात: सूर्योदय काल में एक सूखा नारियल लें, सूखे नारियल में चाकू की सहायता से एक इंच लम्बा छेद किया जाता है. अब इस छेद में 300 ग्राम बूरा (चीनी पाऊडर) तथा 11 रुपये का पंचमेवा मिलाकर नारियल को भर दिया जाता है.
यह कार्य करने के बाद इस नारियल को पीपल के पेड के नीचे गड्डा करके दबा देना. इसके बाद गड्डे को मिट्टी से भर देना है. तथा कोई पत्थर भी उसके ऊपर रख देना चाहिए.
यह क्रिया लगातार 7 मंगलवार करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है. यह ध्यान रखना है कि सोमवार की रात 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना है.
8. मांगलिक योग का उपाय (Remedies for Manglik Yoga)
अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है.
9. छुआरे सिरहाने रख कर सोना
यह उपाय उन व्यक्तियों को करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है. परन्तु विवाह संपन्न होने में बाधा आ रही है. इस उपाय को करने के लिये शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें.


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प्रेमी-प्रेमिका वशीकरण मंत्र (Premi Premika Vashikaran Mantra)

प्रेमी-प्रेमिका वशीकरण मंत्र (Premi Premika Vashikaran Mantra)

 

 

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'कामाख्‍या देश कामाख्‍या देवी,
जहां बसे इस्‍माइल जोगी,
 इस्‍माइल जोगी ने लगाई फुलवारी,
 फूल तोडे लोना चमारी,
जो इस फूल को सूँघे बास,
 तिस का मन रहे हमारे पास,
 महल छोडे, घर छोडे, आँगन छोडे,
 लोक कुटुम्‍ब की लाज छोडे,
दुआई लोना चमारी की,
 धनवन्‍तरि की दुहाई फिरै।'

 ''किसी भी शनिवार से शुरू करके 31 दिनों तक नित्‍य 1144 बार मंत्र का जाप करें तथा लोबान, दीप और शराब रखें, फिर किसी फूल को 50 बार अभिमंत्रित करके स्‍त्री को दे दें। वह उस फूल को सूँघते ही वश में हो जाएगी।''


नोट- तंत्र का प्रयोग हमेशा भलाई के लिए ही करना चाहिए , गलत नीयत से किया गया उपाय स्वयं के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है
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Safety Tips From Snake Biting ( saap ke katne par kya kare )

सर्पदंश से बचाव और उपचार!

sarp mantra
कोबरा - Cobra Snake
सर्पदंश की घटनाएं अब अखबारों की सुर्खियां बनने लगी हैं. क्योंकि अब उनका प्रणय काल करीब है. गर्मी भी बढ़ रही हैं. सापों की गतिविधियाँ भी बढ़ रही हैं। इसलिए इनसे सावधान रहने की जरुरत है. भारत में जहरीले सांपो की एक बड़ी चौकड़ी है -करैत (Krait), कोबरा (Cobra), रसेल वाईपर (Russell Viper) और सा स्केल्ड वाईपर (Saw Scaled Viper). मगर ज्यादातर हिस्सों में कोबरा और करैत ही मिलते हैं. 

सांपों से बचाव के लिए...

यदि आप गावों में रहते हैं तो टॉर्च या पर्याप्त रोशनी के साथ ही बाहर जाएँ. बरसात में ख़ास तौर पर. पैरों को गम बूट ज्यादा सुरक्षा देते हैं मगर यदि आपके पास गम बूट नही है तो ऐसा जूता पहनें जो पैर को ऊपर तक अच्छी तरह ढक सके. साथ में एक डंडा और गमछा भी रखें. सापों का प्रणय- प्रजनन काल करीब है-ख़ास तौर पर नाग-कोबरा का.

कोबरा एक आक्रामक साँप है. यह अपनी टेरिटरी बना कर रहता है यानी एक ऐसा क्षेत्र जिसमें किसी को भी आने पर इसे नागवार लगता है. यदि प्रणय काल में कोई इस क्षेत्र से गुजरता है तो यह आक्रमण कर सकता है. इस पर पैर पड़ जाय तो यह काट ही लेगा.

क्या करिए अगर नागराज सहसा सामने आ जाएं?
अगर किसी की अचानक नाग से भेट हो जाय तो वह अपना गमछा या कोई भी कपडा तुरत-फुरत निकाली हुयी शर्ट या गंजी उस पर फेक दें. यह आदतन उससे उलझ लेगा और वह रफू चक्कर हो सकता है. कोबरा को लाठी से मारना ज़रा अभ्यास का काम है. लाठी तभी इस्तेमाल में लायें जब मरता क्या न करता की पोजीशन हो जाय. क्योंकि ऐसा देखा गया है कि निशाना यदि उसके मर्म स्थल [फन और इर्दगिर्द का हिस्सा] पर नही पडा और आदतन लाठी मारने वाले ने लाठी ऊपर उठायी तो वह उसके शरीर पर आ गिरेगा. और फिर वह क्रोध में काटेगा और विष भी ज्यादा निकालेगा.
विष भरे दंत:
kalsarp yog ka upaya
करैत - Krait Snake
विषैले सापों में दो विषदंत आगे ही ऊपर के जबड़े में होता है और 2 विष की थैली इसी से दोनों और जुडी रहती हैं. खुदा न खास्ता साँप काट ही ले, तो धैर्य रखें, घबरा कर दौड़ न लगायें, इससे तो विष रक्त परिवहन के साथ जल्दी ही पूरे शरीर में फैल जायेगा. रूमाल, गमछा से जहाँ दंश का निशान है उसके ऊपर के एक हड्डी वाले भाग यानी पैर में काटा है तो जांघ में और हाथ में काटा है तो कुहनी के ऊपर बाँध दे, बहुत कसा हुआ नही. पुकार कर किसी को बुलाएं या धीरे धीरे मदद के लिए आसपास पहुंचे और तुंरत एंटीवेनम सूई के लिए पी एच सी पर या जिला अस्पताल पर पहुंचे.
एंटीवेनम सूई है एकमात्र इलाज (Antivenom Injection):
यह सूई अगर आसपास किसी बाजार हाट के मेडिकल स्टोर पर मिल जाय तो पहले इंट्रामस्कुलर (Intramuscular Injection) देकर अस्पताल तक पहुंचा जा सकता है, जहाँ आवश्यकता जैसी होगी चिकित्सक फिर इंट्रा वेनस दे सकता है. अगर आप के क्षेत्र में साँप काटने की घटनाएँ अक्सर होती है तो पी एच सी के चिकित्सक से तत्काल मिल कर एंटी वेनम की एडवांस व्यवस्था सुनिशचित करें- मेडिकल दूकानों पर भी इसे पहले से रखवाया जा सकता है. एंटीवेनम 10 हज़ार लोगों में एकाध को रिएक्शन करता है-कुशल चिकित्सक एंटीवेनम के साथ डेकाड्रान(Decadron)/कोरामिन(Coramin) की भी सूई साथ साथ देता है-बल्कि ऐसा अनिवार्य रूप से करना भी चाहिए। याद रखें जहरीले सांप के काटने पर कई वायल एंटीवेनम के लग सकते हैं. इसलिए इनका पहले से ही प्रयाप्त इंतजाम जरुरी है.
कैसे पहचाने कि जहरीले सांप ने काटा है?
कोबरा के काट लेने के लक्षण क्या हैं- काटा हुआ स्थान पन्द्रह मिनट के भीतर सूजने लगता है. यह कोबरा के काटे जाने का सबसे प्रमुख पहचान है. ध्यान से देखें तो दो मोटी सूई के धसने से बने निशान-विषदंत के निशान दिखेंगे. प्राथमिक उपचार में नयी ब्लेड से धन के निशान का चीरा सूई के धसने वाले दोनों निशान पर लगा कर दबा दबा कर खून निकालें और किसी के मुहँ में यदि छाला घाव आदि न हो तो वह खून चूस कर उगल भी सकता है.

विष का असर केवल खून में जाने पर ही होता है यदि किसी के मुंह में छाला, पेट में अल्सर आदि न हो तो वह सर्पविष बिना नुकसान के पचा भी सकता है. करैत जयादा खतरनाक है मगर इसके लक्षण बहुत उभर कर सामने नही आते यद्यपि थोड़ी सूजन इसमें भी होती है. करैत और कोबरा दोनों के विष स्नायुतंत्र पर घातक प्रभाव डालते हैं.
कौन ज्यादा खतरनाक? कोबरा या करैत ?
कोबरा का 12 माईक्रो ग्राम आदमी को मार सकता है मगर वह एक भरपूर दंश में 320 माईक्रोग्राम विष तक मनुष्य के शरीर में उतार सकता है. मगर प्रायः लोग पावों को तेज झटक देते हैं तो पूरा विष शरीर में नही आ पाता. इसलिए कोबरा का काटा आदमी 5-6 घंटे तक अमूमन नही मरता. और यह समय पर्याप्त है एंटीवेनम चिकित्सा के उपलब्ध होने के लिए.

समाजवादी चिकित्सा एम्बुलेंस वैन
करैत सुस्त साँप है मगर इसका 6 माइक्रोग्राम ही मौत की नीद सुला सकता है. यानी कोबरा के जहर की केवल आधी ही मात्रा.
सर्पदंश के इलाज में उत्तर प्रदेश सरकार की समाजवादी चिकित्सा एम्बुलेंस वैन बहुत प्रभावी भूमिका निभा सकती है. बस सर्पदंश की घटना घटे तो ओझा सोखा के यहाँ जाने के बजाय 108 डायल कर इसकी मदद से आप जिला अस्पताल पर एंटीवेनम चिकत्सा के लिए पहुँच सकते हैं और रोगी की शर्तिया जान बचा सकते हैं.



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Friday, 21 February 2014

RPSC second Grade Teacher Answer Key 2014

RPSC second Grade Teacher Answer Key 2014

Submitted by yogesh on February 21, 2014 – 12.30 PM

RPSC second Grade Teacher Answer Key 2014 – Rajasthan Public Service Commission RPSC has successfully conducted the RPSC 2 grade Teacher Examination on 21st February 2014 to 25th February 2014. RPSC second Grade Teacher written examination is conducted to fill up 9176 vacancies of Teacher Grade II posts.
A very large number of candidates appeared for RPSC second Grade Teacher examination 2014. All those candidates are eagerly waiting to check their answers. RPSC will release answer key for all the sets – SET A, SET B, SET C, and SET D in the official website http://www.rpsc.rajasthan.gov.in/.
The candidates those who had appeared for RPSC second Grade Teacher Examination can check answers here.
There are total 6 subjects in 2nd grade teacher examination 2014 as below: click to see the answer key -

RPSC second Grade Teacher 2014 exam details
State : Rajasthan
Organization : Rajasthan Public Service Commission RPSC
Name of the examination : RPSC second Grade Teacher recruitment exam
Date of examination : 21st February 2014 to 25th February 2014.

How to Download RPSC 2nd Grade Teacher Answer Key?

  • Go to the official website at www.rpsc.rajasthan.gov.in
  • Select the “Download” link & further “Answer Key Download” link
  • Chose your paper and paper set and click on download button
  • Now the answer key will be downloaded to your local drive
  • Take print out of answer key.
Tentative answer key will be available soon here.
The exam will be conducted into two papers, paper-I and paper-II.
Click the following link to check Tentative answer keys. However answer key released in the official website is the final one.
Keep watching this page. It will be updated with all answer keys. Enter email id and subscribe below to get immediate information about official RPSC second grade teacher answer key and results.

Sunday, 16 February 2014

Astrology Remedies to get safety from vehicle accident | वाहन दुर्घटना से बचने का आसान उपाय

वाहन  दुर्घटना से बचने का आसान उपाय

How to get safety from vehicle accident | वाहन  दुर्घटना से बचने का आसान उपाय
आजकल वाहनों की दुर्घटना आम बात हो गयी है , सड़क पर हर कदम सोच समझ कर रखना पड़ता है ,वाहन की संख्या जिस हिसाब से बढ़ रही है उसी हिसाब से दुर्घटनाये भी बढ़ रही है । एसे में अपने जान माल की सुरक्षा होना जरुरी है । हनुमान जी की शक्ति से संपन्न वाहन दुर्घटना नाशक यन्त्र को अपने घर और वाहन में स्थापित करने पर ,,श्री हनुमान जी की कृपा से वाहन आदि से दुर्घटना का भय बिलकुल नहीं रहता है । सर्वत्र रक्षा होती है । इसे मंगलवार या शनिवार के दिन एक यन्त्र घर पर और एक यन्त्र अपने वाहन के आगे के हिस्से में कही पर भी रख दे । धुप दीप दिखा कर पूजा अवश्य करे पहले ।
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इसके अतरिक्त जब भी घर से बहार निकले तो 11  बार ॐ ज़ूम सः इस मंत्र का जप करके निकले |  

इस लेख के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार के शंका समाधान या फ़ोन पर अपनी जन्मपत्रिका के विस्तृत फलादेश या किसी समस्या के समाधान के लिए आप फ़ोन द्वारा संपर्क कर सकते है |

आचार्य पीयूष वशिष्ठ ( गोल्ड मेडलिस्ट )

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Saturday, 15 February 2014

Maha Shivaratri Puja Vidhi ( Aise kare shivratri par puja )

Maha Shivaratri Puja Vidhi

Following Puja Vidhi during Maha Shivaratri has been collected from various religious texts. We have included all main rituals which are suggested during Maha Shivaratri.
  1. It is suggested to have only single meal a day before Maha Shivaratri fasting. It is one of the common practices during fasting to make sure any undigested food is not left in the digestion system on the fasting day.
  2. On the day of Shivaratri, one should get up early in the morning and take bath. It is suggested to add black sesame seeds into the water. It is believed that the holy bath on the day of Shivaratri purifies not only the body but also the soul. If possible bathing in Ganges is preferred.
  3. After taking bath devotees should take Sankalp (संकल्प) to observer full day fast and to break the fast on the next day. During Sankalp devotees pledge for self-determination throughout the fasting period and seek blessing of Lord shiva to finish the fast without any interference. Hindu fasts are strict and people pledge for self-determination and seek God blessing before starting them to finish them successfully.
  4. Devotees should abstain from all type of food during the fasting. In the strict form of fasting even water is not allowed. However consumption of fruits and milk is suggested during day time which should be followed by strict fasting during night. In other words during day time fruits and milk can be consumed.
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  5. Devotees should take second bath in the evening before doing Shiva Puja or visiting temple. If one is not able to visit the temple then makeshift Shiva Ling can be made to perform Puja activities. One can even shape the mud in Linga form and apply Ghee to perform Abhishek Puja at home.
  6. Shiva Puja should be done during night. Shivaratri Puja can be performed one time or four times during the night. The whole night duration can be divided into four to get four Prahar (प्रहर) to perform Shiva Puja four times. Devotees who want to perform single Puja should do it during midnight. Please check Maha Shivaratri Puja Timings to know timings of four Prahars for your city.
  7. As per Puja Viddhi, Abhishek of Shiva Lingam should be performed with different materials. The milk, rose water, sandalwood paste, yogurt, honey, Ghee, sugar and the water are commonly used for Abhishek. Devotees, who perform four Prahar Puja, must perform water Abhishek during first Prahar, curd Abhishek during second Prahar, Ghee Abhishek during third Prahar and honey Abhishek during fourth Prahar apart from other materials.
  8. After the Abhishek ritual, Shiva Linga is adorned with the garland made of Bilva leaves. It is believed that Bilva leaves cool down Lord Shiva.
  9. After that Chandan or Kumkum is applied to the Shiva Linga which is followed by lighting lamp and Dhupa. The other items which are used to adorn Lord Shiva include flower of Madar (मदार) which is also known as Aak (आक), Vibhuti which is also known as Bhasm. Vibhuti is sacred ash which is made using dried cow dung.
  10. The mantra to chant during Puja duration is ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya).
  11. Devotees should break the fast next day after taking bath. Devotees should break the fast between sunrise and before the end of Chaturdashi Tithi to get maximum benefit of the Vrat. Please check Maha Shivaratri page to know the time to break the fast for your city.


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Wednesday, 29 January 2014

EFFECT OF RAHU IN HOROSCOPE

EFFECT OF RAHU IN HOROSCOPE

 Dear friends in this article we are telling you that what effects Planet RAHU gives in various houses in horoscope:

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When Rahu afflicts closely the mid-point of a house which contains a mooltrikona sign and the dispositor is weak, impact in various houses is as under :


First House:

Physical retardation and acute health problems, problems in marital life, problems to male children and father.

Second House:

Disintegration of family, divorce, loss of status, wealth and reputation, intestinal problems and problems to father.

Third House:

Sinful deeds, lying, disturbed marital life, retarded physical growth, problems to father and earnings through foul means.

Fourth House:

Destroys domestic peace and professional growth, causes accidents and inauspicious happenings, wasteful expenses and losses.

Fifth House:

Loss of semen, lack of progeny, health problems to father, elder brother and self. Earnings through undesirable means.

Sixth House:

Chronic illness, stomach ulcer, acidity, losses through thefts and fire, threat of imprisonment, disputes and disturbed family life.
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Seventh House:

Extra marital relationships, ill health to self and spouse, venereal diseases, skin diseases, problems to brothers and resorting to corrupt practices and gambling.

Eighth House:

Accidents, involvement in scandals, family disputes, separation, piles, eye troubles and loss of domestic peace.

Ninth House:

Problems to self, father, children and younger brothers. Makes one totally immoral. One resorts to vices and gambling.

Tenth House:

Causes termination due to use of corrupt practices, destroys assets, problems of blood pressure and makes the native a liar.

Eleventh House:

Income through corrupt practices, spoils health of spouse and troubled marital relations. Native uses unfair means and operates in a deceptive way.

Twelfth House:

Makes one an addict and gambler, threat of imprisonment, losses and expenses, problem of hypertension, thoroughly troubled domestic peace.
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Transit Influence of Rahu

Transit influence of Rahu is more or less indicative of troubles and tensions. Transit relationship through close aspect/conjunction with weak planet is felt when the longitudinal difference is five degrees and with the grave situation at the time of exact aspect/conjunction.
The tension/trouble starts when the relationship is formed and ends when it separates from the close conjunction/aspect. In the case of strong and well placed natal/transit planets, the longitudinal distance of conjunction/aspect is of only one degree. The impact is felt with respect to the following :
1 . The significations of the houses where mooltrikona signs of the troubled planets are placed.
2. The general significations of the afflicted planet.
3. The general significations of the house where the afflicted planet is placed.
4. The general significations of the house of conjunction and the houses aspected if the conjunction is with the most effective point of a house.
The impact is greater when Rahu causing transit conjunction is placed in dusthanas and when the planets/houses involved are weak both in natal and transit charts.
Rahu's close involvement with Venus gives an urge for carnal pleasures in the early stages of life and enjoyments through smoking and drinking, intoxication through other means, etc. Rahu's close involvement with the most effective points of the seventh, third, fifth and eighth houses takes one to premarital carnal pleasures and love affairs only for physical gratification. Rahu's close affliction to both Mercury and the weak Moon in the eighth or twelfth houses makes one a drug addict. I am sure readers will derive benefits from this in delineating the postures of Rahu in a particular nativity more clearly.

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Ramcharitmanas ke Siddh Mantra

  Ramcharitmanas ke Siddh Mantra

रामचरितमानस के चामत्कारिक मंत्र 

 

हिन्दू धर्म और संस्कृति में रामचरितमानस जन जन में व्याप्त है , लेकिन बहुत कम लोगो को पता है कि रामचरितमान कि सभी चौपाइया प्रभावशाली मंत्र भी है ! सभी प्रकार कि समस्याओ के समाधान के लिए इनका प्रयोग किया जा सकता है! इन मंत्रो का प्रयोग यदि नवरात्र, दीपावली या  किसी पर्व के दिन किया जाये तो इनका फल और अधिक मिलता है.यहाँ हम हमारे सभी पाठको के लिए रामचरितमानस के ये सिध्ह और चामत्कारिक मंत्र दे रहे है :
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श्री रामचरित मानस के सिद्ध 'मन्त्र'

नियम-

मानस के दोहे-चौपाईयों को सिद्ध करने का विधान यह है कि किसी भी शुभ दिन की रात्रि को दस बजे के बाद अष्टांग हवन के द्वारा मन्त्र सिद्ध करना चाहिये। फिर जिस कार्य के लिये मन्त्र-जप की आवश्यकता हो, उसके लिये नित्य जप करना चाहिये। वाराणसी में भगवान् शंकरजी ने मानस की चौपाइयों को मन्त्र-शक्ति प्रदान की है-इसलिये वाराणसी की ओर मुख करके शंकरजी को साक्षी बनाकर श्रद्धा से जप करना चाहिये।

अष्टांग हवन सामग्री

१॰ चन्दन का बुरादा, २॰ तिल, ३॰ शुद्ध घी, ४॰ चीनी, ५॰ अगर, ६॰ तगर, ७॰ कपूर, ८॰ शुद्ध केसर, ९॰ नागरमोथा, १०॰ पञ्चमेवा, ११॰ जौ और १२॰ चावल।

जानने की बातें-

जिस उद्देश्य के लिये जो चौपाई, दोहा या सोरठा जप करना बताया गया है, उसको सिद्ध करने के लिये एक दिन हवन की सामग्री से उसके द्वारा (चौपाई, दोहा या सोरठा) १०८ बार हवन करना चाहिये। यह हवन केवल एक दिन करना है। मामूली शुद्ध मिट्टी की वेदी बनाकर उस पर अग्नि रखकर उसमें आहुति दे देनी चाहिये। प्रत्येक आहुति में चौपाई आदि के अन्त में 'स्वाहा' बोल देना चाहिये।
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प्रत्येक आहुति लगभग पौन तोले की (सब चीजें मिलाकर) होनी चाहिये। इस हिसाब से १०८ आहुति के लिये एक सेर (८० तोला) सामग्री बना लेनी चाहिये। कोई चीज कम-ज्यादा हो तो कोई आपत्ति नहीं। पञ्चमेवा में पिश्ता, बादाम, किशमिश (द्राक्षा), अखरोट और काजू ले सकते हैं। इनमें से कोई चीज न मिले तो उसके बदले नौजा या मिश्री मिला सकते हैं। केसर शुद्ध ४ आने भर ही डालने से काम चल जायेगा।
हवन करते समय माला रखने की आवश्यकता १०८ की संख्या गिनने के लिये है। बैठने के लिये आसन ऊन का या कुश का होना चाहिये। सूती कपड़े का हो तो वह धोया हुआ पवित्र होना चाहिये।
मन्त्र सिद्ध करने के लिये यदि लंकाकाण्ड की चौपाई या दोहा हो तो उसे शनिवार को हवन करके करना चाहिये। दूसरे काण्डों के चौपाई-दोहे किसी भी दिन हवन करके सिद्ध किये जा सकते हैं।
सिद्ध की हुई रक्षा-रेखा की चौपाई एक बार बोलकर जहाँ बैठे हों, वहाँ अपने आसन के चारों ओर चौकोर रेखा जल या कोयले से खींच लेनी चाहिये। फिर उस चौपाई को भी ऊपर लिखे अनुसार १०८ आहुतियाँ देकर सिद्ध करना चाहिये। रक्षा-रेखा न भी खींची जाये तो भी आपत्ति नहीं है। दूसरे काम के लिये दूसरा मन्त्र सिद्ध करना हो तो उसके लिये अलग हवन करके करना होगा।
एक दिन हवन करने से वह मन्त्र सिद्ध हो गया। इसके बाद जब तक कार्य सफल न हो, तब तक उस मन्त्र (चौपाई, दोहा) आदि का प्रतिदिन कम-से-कम १०८ बार प्रातःकाल या रात्रि को, जब सुविधा हो, जप करते रहना चाहिये।
कोई दो-तीन कार्यों के लिये दो-तीन चौपाइयों का अनुष्ठान एक साथ करना चाहें तो कर सकते हैं। पर उन चौपाइयों को पहले अलग-अलग हवन करके सिद्ध कर लेना चाहिये।
१॰ विपत्ति-नाश के लिये
"राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।"
२॰ संकट-नाश के लिये
"जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।"
३॰ कठिन क्लेश नाश के लिये
"हरन कठिन कलि कलुष कलेसू। महामोह निसि दलन दिनेसू॥"
४॰ विघ्न शांति के लिये
"सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही॥"
५॰ खेद नाश के लिये
"जब तें राम ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥"
६॰ चिन्ता की समाप्ति के लिये
"जय रघुवंश बनज बन भानू। गहन दनुज कुल दहन कृशानू॥"
७॰ विविध रोगों तथा उपद्रवों की शान्ति के लिये
"दैहिक दैविक भौतिक तापा।राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥"
८॰ मस्तिष्क की पीड़ा दूर करने के लिये
"हनूमान अंगद रन गाजे। हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।"
९॰ विष नाश के लिये
"नाम प्रभाउ जान सिव नीको। कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।"
१०॰ अकाल मृत्यु निवारण के लिये
"नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।"
११॰ सभी तरह की आपत्ति के विनाश के लिये / भूत भगाने के लिये
"प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर॥"
१२॰ नजर झाड़ने के लिये
"स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।"
१३॰ खोयी हुई वस्तु पुनः प्राप्त करने के लिए
"गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।"
१४॰ जीविका प्राप्ति केलिये
"बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।"
१५॰ दरिद्रता मिटाने के लिये
"अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।।"
१६॰ लक्ष्मी प्राप्ति के लिये
"जिमि सरिता सागर महुँ जाही। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएँ। धरमसील पहिं जाहिं सुभाएँ।।"
१७॰ पुत्र प्राप्ति के लिये
"प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।'
१८॰ सम्पत्ति की प्राप्ति के लिये
"जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।"
१९॰ ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिये
"साधक नाम जपहिं लय लाएँ। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ।।"
२०॰ सर्व-सुख-प्राप्ति के लिये
सुनहिं बिमुक्त बिरत अरु बिषई। लहहिं भगति गति संपति नई।।
२१॰ मनोरथ-सिद्धि के लिये
"भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर अरु नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि।।"
२२॰ कुशल-क्षेम के लिये
"भुवन चारिदस भरा उछाहू। जनकसुता रघुबीर बिआहू।।"
२३॰ मुकदमा जीतने के लिये
"पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।"
२४॰ शत्रु के सामने जाने के लिये
"कर सारंग साजि कटि भाथा। अरिदल दलन चले रघुनाथा॥"
२५॰ शत्रु को मित्र बनाने के लिये
"गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।"
२६॰ शत्रुतानाश के लिये
"बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई॥"
२७॰ वार्तालाप में सफ़लता के लिये
"तेहि अवसर सुनि सिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा॥"
२८॰ विवाह के लिये
"तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि सँवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उरमिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥"
२९॰ यात्रा सफ़ल होने के लिये
"प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥"
३०॰ परीक्षा / शिक्षा की सफ़लता के लिये
"जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥"
३१॰ आकर्षण के लिये
"जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू॥"
३२॰ स्नान से पुण्य-लाभ के लिये
"सुनि समुझहिं जन मुदित मन मज्जहिं अति अनुराग।
लहहिं चारि फल अछत तनु साधु समाज प्रयाग।।"
३३॰ निन्दा की निवृत्ति के लिये
"राम कृपाँ अवरेब सुधारी। बिबुध धारि भइ गुनद गोहारी।।
३४॰ विद्या प्राप्ति के लिये
गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल विद्या सब आई॥
३५॰ उत्सव होने के लिये
"सिय रघुबीर बिबाहु जे सप्रेम गावहिं सुनहिं।
तिन्ह कहुँ सदा उछाहु मंगलायतन राम जसु।।"
३६॰ यज्ञोपवीत धारण करके उसे सुरक्षित रखने के लिये
"जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं रामचरित बर ताग।
पहिरहिं सज्जन बिमल उर सोभा अति अनुराग।।"
३७॰ प्रेम बढाने के लिये
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥
३८॰ कातर की रक्षा के लिये
"मोरें हित हरि सम नहिं कोऊ। एहिं अवसर सहाय सोइ होऊ।।"
३९॰ भगवत्स्मरण करते हुए आराम से मरने के लिये
रामचरन दृढ प्रीति करि बालि कीन्ह तनु त्याग ।
सुमन माल जिमि कंठ तें गिरत न जानइ नाग ॥
४०॰ विचार शुद्ध करने के लिये
"ताके जुग पद कमल मनाउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ।।"
४१॰ संशय-निवृत्ति के लिये
"राम कथा सुंदर करतारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी।।"
४२॰ ईश्वर से अपराध क्षमा कराने के लिये
" अनुचित बहुत कहेउँ अग्याता। छमहु छमा मंदिर दोउ भ्राता।।"
४३॰ विरक्ति के लिये
"भरत चरित करि नेमु तुलसी जे सादर सुनहिं।
सीय राम पद प्रेमु अवसि होइ भव रस बिरति।।"
४४॰ ज्ञान-प्राप्ति के लिये
"छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा।।"
४५॰ भक्ति की प्राप्ति के लिये
"भगत कल्पतरु प्रनत हित कृपासिंधु सुखधाम।
सोइ निज भगति मोहि प्रभु देहु दया करि राम।।"
४६॰ श्रीहनुमान् जी को प्रसन्न करने के लिये
"सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपनें बस करि राखे रामू।।"
४७॰ मोक्ष-प्राप्ति के लिये
"सत्यसंध छाँड़े सर लच्छा। काल सर्प जनु चले सपच्छा।।"
४८॰ श्री सीताराम के दर्शन के लिये
"नील सरोरुह नील मनि नील नीलधर श्याम ।
लाजहि तन सोभा निरखि कोटि कोटि सत काम ॥"
४९॰ श्रीजानकीजी के दर्शन के लिये
"जनकसुता जगजननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की।।"
५०॰ श्रीरामचन्द्रजी को वश में करने के लिये
"केहरि कटि पट पीतधर सुषमा सील निधान।
देखि भानुकुल भूषनहि बिसरा सखिन्ह अपान।।"


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