मांगलिक दोष (Manglik Dosha – Kuja Dosha)
मांगलिक
दोष (Manglik Dosha) जिसे कुज दोष (Kuja Dosha) भी कहते हैं विवाह के
विषय में बहुत ही गंभीर और अमंगलकारी मानी जाती है. मांगलिक दोष से पीड़ित
लड़का हो या लड़की दोनों की शादी को लेकर माता पिता की परेशानी विशेष रूप
से बढ़ जाती है क्योंकि गृहस्थ जीवन के संदर्भ में मांगलिक दोष बहुत सी
कष्टदायी और दुखदायी होती है.
विवाह में मांगलिक दोष (Manglik Dosha in marriage)
विवाह जीवन का बहुत बड़ा फैसला होता है जिसमें जरा सी चूक जीवन भर के लिए अभिशाप बन जाता है. विवाह की बात जब भी चलती है तो वर और वधू पक्ष दोनों ही अपनी ओर से पूरी छान बीन करते हैं. वर पक्ष वाले कन्या को देख कर विवाह की स्वीकृति देते हैं तो कन्या पक्ष वाले वर को जांचते टटोलते हैं. वर कन्या पसंद होने पर वर वधू की कुण्डली मिलायी जाती है. कुण्डली मिलान के दौरान सभी ग्रह स्थिति अच्छी होने के बावजूद पंडित अथवा ज्योतिष यह कहते हैं कि वर मांगलिक है या वधू मांगलिक है तो दोनों पक्ष निराश और मायूस हो जाते हैं क्योंकि पसंद आया रिश्ता हाथ से निकलता दिखाई देता है. दोनों पक्ष पंडित जी द्वारा मांगलिक करार दिये जाने पर हाथ मलते रह जाते हैं और मन ही मन बेचारे पंडित जी को कोसते रह जाते हैं.
मांगलिक दोष (Manglik Dosha) होने पर वैवाहिक सम्बन्ध की इजाजत ज्योतिष शास्त्र इसलिए नहीं देता है क्योंकि इससे वैवाहिक जीवन में अशांति, कलह, टकराव और तनाव की स्थिति बनी रहती है (Manglik Dosha causes fights and stress in the relationship). पति पत्नी में प्रेम की जगह वैर और शत्रुता का भाव बना रहता है जो गृहस्थ जीवन को उजाड़ कर रख देता है. वास्तव में मांगलिक दोष ऐसी दोष मानी जाती है जो विवाह जैसे प्रेम पूर्ण रिश्ते में प्रेम को पनपने का अवसर ही नहीं देती. इस दोष में पति पत्नी में से किसी की मृत्यु होने की भी संभावना रहती है.
मांगलिक दोष में विवाह (Marriage of a Manglik person)
मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता परंतु कहते हैं जैसे ज़हर ज़हर को काटता है उसी प्रकार मांगलिक दोष ही मांगलिक को दोष को काटता है कहने का तात्पर्य यह है कि अगर वर और वधू दोनों की कुण्डली में मांगलिक दोष है तो यह दोष नहीं लगता (If the bride and groom both are manglik, it loses effect) यानी शादी हो सकती है. कुण्डली मिलान के समय अगर वर अथवा वधू में से कोई एक मांगलिक है और दूसरा नहीं इस कारण से विवाह सम्बन्ध नहीं हो पा रहा है और आपको रिश्ता बहुत पसंद है तो कुण्डली की जांच किसी अच्छे विद्वान ज्योतिषी अथवा पंडित से करवानी चाहिए क्योंकि मांगलिक के भी कई प्रकार हैं और हो सकता है कि आप किसी अन्य प्रकार से मांगलिक हों अथवा जिससे आपकी शादी की बात चल रही है वह भी मांगलिक नहीं हो.
मांगलिक कुण्डली (Manglik Kundali)
किसी कि कुण्डली में मांगलिक दोष है इसकी पहचान का तरीका यह है कि जब मंगल कुण्डली में प्रथम भाव यानी लग्न में होता है तो मांगलिक कहलाता है इसी प्रकार जब मंगल लग्न से चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें स्थान पर होता है तो मांगलिक कुण्डली कहलाती है.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मांगलिक दो प्रकार की होती हैं एक पूर्ण मांगलिक जिसे समग्र मांगलिक कहते हैं और दूसरी चन्द्र मांगलिक. चन्द्र मांगलिक की पहचान कुण्डली में चन्द्र कुण्डली चक्र से किया जाता है. चन्द्र कुण्डली में जहां चन्द्रमा होता है वह लग्न माना जाता है और वहीं से प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव का विचार करके मांगलिक दोष का निर्घारण किया जाता है.
आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है या नहीं यदि आप यहाँ जानना चाहते है तो अपना जन्मविवरण बताकर हमसे फ़ोन द्वारा पूछ सकते है
कब होगा आपका विवाह ?
जीवनसाथी का नाम किस अक्षर से शुरू होगा?
कैसा रहेगा विवाह के बाद आपका जीवन ?
कैसा होगा जीवनसाथी का रंग रूप ?
यदि आप इन सभी प्रश्नो का उत्तर जानना चाहते है तो संपर्क करे :
आचार्य पीयूष वशिष्ठ
+91 9829412361
WWW.PEEYUSHVASHISTH.COM
RELATED KEYWORDS-
WHAT IS MANGLIK DOSH ( MANGLIK DOSH KYA HOTA HAI ), REMEDIES FOR MANGLIK DOSH, KYA MERI KUNDLI ME MANGLIK DOSH HAI, EASY REMEDIES FOR MANGLIK DOSH, MANGLIK DOSH KA MANTRA, MANGLA GAURI PUJA, KATYAYANI MANTRA, MANGAL DOSH astrologer in jaipur
विवाह में मांगलिक दोष (Manglik Dosha in marriage)
विवाह जीवन का बहुत बड़ा फैसला होता है जिसमें जरा सी चूक जीवन भर के लिए अभिशाप बन जाता है. विवाह की बात जब भी चलती है तो वर और वधू पक्ष दोनों ही अपनी ओर से पूरी छान बीन करते हैं. वर पक्ष वाले कन्या को देख कर विवाह की स्वीकृति देते हैं तो कन्या पक्ष वाले वर को जांचते टटोलते हैं. वर कन्या पसंद होने पर वर वधू की कुण्डली मिलायी जाती है. कुण्डली मिलान के दौरान सभी ग्रह स्थिति अच्छी होने के बावजूद पंडित अथवा ज्योतिष यह कहते हैं कि वर मांगलिक है या वधू मांगलिक है तो दोनों पक्ष निराश और मायूस हो जाते हैं क्योंकि पसंद आया रिश्ता हाथ से निकलता दिखाई देता है. दोनों पक्ष पंडित जी द्वारा मांगलिक करार दिये जाने पर हाथ मलते रह जाते हैं और मन ही मन बेचारे पंडित जी को कोसते रह जाते हैं.
मांगलिक दोष (Manglik Dosha) होने पर वैवाहिक सम्बन्ध की इजाजत ज्योतिष शास्त्र इसलिए नहीं देता है क्योंकि इससे वैवाहिक जीवन में अशांति, कलह, टकराव और तनाव की स्थिति बनी रहती है (Manglik Dosha causes fights and stress in the relationship). पति पत्नी में प्रेम की जगह वैर और शत्रुता का भाव बना रहता है जो गृहस्थ जीवन को उजाड़ कर रख देता है. वास्तव में मांगलिक दोष ऐसी दोष मानी जाती है जो विवाह जैसे प्रेम पूर्ण रिश्ते में प्रेम को पनपने का अवसर ही नहीं देती. इस दोष में पति पत्नी में से किसी की मृत्यु होने की भी संभावना रहती है.
मांगलिक दोष में विवाह (Marriage of a Manglik person)
मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता परंतु कहते हैं जैसे ज़हर ज़हर को काटता है उसी प्रकार मांगलिक दोष ही मांगलिक को दोष को काटता है कहने का तात्पर्य यह है कि अगर वर और वधू दोनों की कुण्डली में मांगलिक दोष है तो यह दोष नहीं लगता (If the bride and groom both are manglik, it loses effect) यानी शादी हो सकती है. कुण्डली मिलान के समय अगर वर अथवा वधू में से कोई एक मांगलिक है और दूसरा नहीं इस कारण से विवाह सम्बन्ध नहीं हो पा रहा है और आपको रिश्ता बहुत पसंद है तो कुण्डली की जांच किसी अच्छे विद्वान ज्योतिषी अथवा पंडित से करवानी चाहिए क्योंकि मांगलिक के भी कई प्रकार हैं और हो सकता है कि आप किसी अन्य प्रकार से मांगलिक हों अथवा जिससे आपकी शादी की बात चल रही है वह भी मांगलिक नहीं हो.
मांगलिक कुण्डली (Manglik Kundali)
किसी कि कुण्डली में मांगलिक दोष है इसकी पहचान का तरीका यह है कि जब मंगल कुण्डली में प्रथम भाव यानी लग्न में होता है तो मांगलिक कहलाता है इसी प्रकार जब मंगल लग्न से चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें स्थान पर होता है तो मांगलिक कुण्डली कहलाती है.
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मांगलिक दो प्रकार की होती हैं एक पूर्ण मांगलिक जिसे समग्र मांगलिक कहते हैं और दूसरी चन्द्र मांगलिक. चन्द्र मांगलिक की पहचान कुण्डली में चन्द्र कुण्डली चक्र से किया जाता है. चन्द्र कुण्डली में जहां चन्द्रमा होता है वह लग्न माना जाता है और वहीं से प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव का विचार करके मांगलिक दोष का निर्घारण किया जाता है.
आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है या नहीं यदि आप यहाँ जानना चाहते है तो अपना जन्मविवरण बताकर हमसे फ़ोन द्वारा पूछ सकते है
कब होगा आपका विवाह ?
जीवनसाथी का नाम किस अक्षर से शुरू होगा?
कैसा रहेगा विवाह के बाद आपका जीवन ?
कैसा होगा जीवनसाथी का रंग रूप ?
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